हजारों करोड़ के आरओबी सफेद हाँथी बन गए
हजारों करोड़ के आरओबी सफेद हाँथी बन गए

प्रयाग स्टेशन के दूसरी तरफ गल्लाबाजार और आइइआरटी पर एक साथ निर्माणाधीन दोनों आरओबी के कारण बड़ी बगिया, सलोरी लगायत छोटा-बघाड़ा की 4-5 लाख की आबादी जनवरी 2022 से ही धूल-धक्कड,उबड़-खाबड़ डायवर्जन,पानी,कीचड़, फिसलन और महाजाम से जूझ रही है।आइइआरटी रेल फाटक पर रोज घंटों भीषण जाम में फंसने वाले लोगों के लिए एनी बेसेंट रेल फाटक एक विकल्प हुआ करता था।वहाँ अंडरपास पास का निर्माण नवम्बर 2023 में शुरु होकर परवरी 2024 में पूरा होना था। जो मई 2024 बीतने के बाद भी अधर में लटका है। उस फाटक का भी ट्रैफिक आइइआरटी रेल फाटक पर आ रहा है।इस तरह सलोरी वालों की जो दुर्दशा हो रही है उसे भुक्तभोगी ही समझ सकता है। ऐसा भी नहीं कि एक साल बाद इस दुर्दशा से मुक्ति मिल जाएगी; क्योंकि गल्लाबाजार फाटक और आइइआरटी फाटक पर बनने वाले दोनों ही आरओबी पूरागडेरिया में एमएनआइटी गेट और बख्शी-बांध पर बने आरओबी की तरह ही सफेद हाथी सिद्ध होंगे। इसके लिए उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के साथ रेलवे बोर्ड में रहे वो सभी आला अफसर जिम्मेदार हैं जिन्होंने पिछले 10-15 वर्षों में लगातार लिख कर आपत्ति लगाई कि आइइआरटी रेल फाटक पर आरोबी बन ही नहीं सकता है। आज उसी जगह आरओबी का निर्माण कैसे हो रहा है ? अडंगा लगाकर 10-15 वर्ष पूर्व होने वाले इस आरओबी का निर्माण रोकने वाले सभी कार्यरत और सेवानिवृत्त अधिकारियों पर मुकदमा चलाना चाहिए,उनसे बढ़ी लागत का हर्जाना वसूल किया जाना चाहिए , ताकि भविष्य के लिए यह नजीर बने। इन्हीं आला अफसरों ने आइइआरटी की जगह गल्लाबाजार फाटक पर वैकल्पिक आरओबी की स्वीकृति दिया था; परन्तु उसका एप्रोच पावर स्टेशन चौराहे पर न देकर उसे बड़ा-बघाडा रोड़ तक बढ़ा दिया जिसमें जनता के खून-पसीने का हजारों करोड़ स्वाहा हो रहा है। जबकि बड़ी-बगिया, लाला की सराय, गल्लाबाजार, राजीव नगर के स्थानीय लोगों की मांग यहाँ यूआरबी/अंडरपास बनाने की थी , जिसका निर्माण एक हजार करोड़ के आरओबी की जगह मात्र 50 करोड़ में मात्र दो-तीन महीने ही हो सकता था। सवाल उठता है कि जब 2022 में ही रेलवे ने आइइआरटी क्रासिंग पर आरओबी बनाने की स्वीकृति दे दी थी। तब इसके विकल्प स्वरुप गल्लाबाजार पर बनने वाले आरओबी को निरस्त कर वहाँ स्थानीय जनता की माँग पर यूआरबी/अंडरपास क्यों नहीं बनाया गया ?आइइआरटी पर अब बन रहे आरओबी का एप्रोच भी ईश्वरशरण वाली सड़क की तरफ न होकर बड़ा बघाड़ा रोड पर घुमाने का क्या औचित्य है ? इस हेरा-फेरी के पीछे गंगा पार हेतापट्टी के भू- माफियाओं की बड़ी भूमिका की आमजन के बीच चर्चा है, जिन्हें जनपद के एक बड़े नेता का वरदहस्त प्राप्त होना बताया जाता है।
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